हर तरफ रंजो-अलम के साए हैं
अब कुछ अपने लोग भी पराए हैं
एक और आ जाए तो क्या कयामत होगी
जब हजारों इल्ज़ाम मेरे सर आए हैं
जिंदगी कटती नहीं अब जैसे-तैसे बसर किया करता हूँ
पानी से प्यास बुझती नहीं अब मैं जहर पिया करता हूँ
ऐसा भी मुकाम मेरी राह-ए-सफर में आया
खता सबने की इल्ज़ाम मेरे सर आया