सोमवार, 8 अगस्त 2016

शायरी

उसे नाज है  अपने हुस्न पर,
कि हम उस पर गजल लिखते हैं...
उस नादान को इतना भी नहीं मालूम,
कि सितारे चमकने के लिए चाँद का इंतजार नहीं करते...

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